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Pragyan Brahm प्रज्ञान ब्रह्म: दर्शनशास्त्र (Hindi Edition)

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Pragyan Brahm प्रज्ञान ब्रह्म: दर्शनशास्त्र (Hindi Edition)

डॉ सत्येंद्र सिंह मलिक
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मनुष्यों और अन्य प्राणियों में एक मूलभूत अंतर यह है कि मनुष्यों में ज्ञान-संबंधी सम्प्रेषण के लिए मष्तिष्क अधिक विकसित है । कई चीजें जिनका हम आकलन करते हैं जानवर भी उनको बिना आकलन किये वैसे ही करते हैं । बिना आकलन किये भी उसी निर्णय पर पहुँच जाना अमूर्त बुद्धि (abstract intelligence) के कारण संभव है । अमूर्त बुद्धि चित्त के कारणवश है । विश्वास भी मूर्त बुद्धि का ही एक रूप है । विश्वास एक ऐसा तथ्य है जो स्वतः ही हो सकता है किसी के बाध्य करने पर नहीं। परमेश्वर के अस्तित्व पर विश्वास भी संस्कार जनित विद्या है । यह अमूर्त रूप में हमारे पूर्व जन्मों के संचित ज्ञान का फल है । अगर हम परमात्मा के अव्यक्त अरूप या अव्यक्त साकार या व्यक्त रूपों की अवधारणा पर विचार करें तो यह अमूर्त विश्वास धीरे धीरे बुद्धि की क्रिया से ज्ञान रूप में प्रकट हो जाता और यही ज्ञान धर्म के रूप में व्याखित है । धर्म का प्रभाव हमारे वर्तमान जीवन, समाज व वातावरण पर पड़ता है और हमारे भविष्य पर भी। मेरा यह मानना है किसी के कहने पर विश्वास न करें और उस तथ्य को तर्क व न्याय की कसौटी पर रक्खें। इस प्रक्रिया से न केवल ज्ञान वृद्धि होगी बल्कि आप सत्य या वास्तविकता की तह तक भी पहुँच जाओगे। मेरे परमगुरु महावतार बाबाजी का कहना है कि अगर स्वयं ब्रह्मा भी आप से ये आकर कहे कि इस बात को मान लो तो उन्हें भी आप प्रश्न पूछ सकते हैं कि ऐसा क्यों है । यह सनातन धर्म का आधार है । इस संसार के अन्य किसी पंथ में ऐसी स्वतंत्रता नहीं होती है । यह स्वतंत्रता सत्य की ओर इंगित करती है जो सच है और अगर आप उसे प्राप्त करने की कोशिश करें तो उसका एक दिन पता चल ही जाएगा । मैंने पंथ शब्द का प्रयोग इसलिए किया है क्योंकि सब जीवों के लिए धर्म एक ही है । यह प्राकृतिक रूप से ऐसा है । सब जड़ पदार्थों का धर्म, महत की प्रक्रिया में प्रधान है । माया असली रूप को एक नए रूप में (छद्मवेश) में प्रकट होने का गुण है । बुद्धि कुछ हद तक माया को जान सकती है, विवेक कुछ ज्यादा और प्रज्ञान माया के पार जाने में सक्षम है । हर मानव का कर्त्तव्य है कि वह सनातन धर्म को जाने, समझे व न्याय की कसौटी पर तोले और सही मूल्यों और सिद्धांतों को अपने जीवन में अपनाए चाहे वह किसी भी पंथ में विश्वास करता हो। यह सब करने के लिए इस बात की आवयश्कता नहीं है कि सब कुछ छोड़ कर हिमालय या किसी वन में चले जाएँ यह सब अपने इसी जीवन में सब काम करते करते हो सकता है । आपको सिर्फ इस विषय में पहला कार्य, यह करना है कि इस पर विचार करें । इस पुस्तक में आगामी अध्यायों में, मैंने पृष्ठभूमि ब्रह्मांडीय वातावरण के परिप्रेक्ष्य की व्याख्या की है । विज्ञान इस जीवन के उद्देश्य, मानव के उद्गम और ब्रह्माण्ड के संपूर्ण चित्र के विषय में विशेष परन्तु अधूरी जानकारी देता है । दर्शनशास्त्र इस विषय में बेहतर काम करता है और इसका दायरा बहुत विशाल है । सांख्य का दर्शनशास्त्र भी तर्क और कारण-प्रभाव के सिद्धांत पर ही आधारित है लेकिन इसे किसी प्रयोगशाला में सिद्ध करने की आवश्यकता नहीं है । पूरी तस्वीर का निर्माण होने तक हम विज्ञान का इंतजार नहीं कर सकते कि वह हमारे जीवन के विकास के लिए एक रास्ता तैयार करेगी। इस तरह तो हमारा पूरा जीवनकाल ही व्यतीत हो जायेगा। कुछ प्रमुख प्रश्नों के उत्तर देने का प्रयत्न किया गया है कि यह ब्रह्मांड कैसे अस्तित्व में आया? बिग बैंग के सिद्धांत ने शुरुआत एक बहुत ही संपीडित संघनित पदार्थ के अणु से मानी है । इस मूल पदार्थ का स्रोत हमेशा से अनसुलझा रहा है । ब्रह्माण्ड में उससे भी पुराने पदार्थ का पता लगने के बाद खगोलविद चकित रह जाते हैं । प्राकृतिक आयामों का सारांश भी प्रस्तावित किया गया है । समय और आकाश भी द्रव्य हैं जो तरंग की तरह बहते हैं । विज्ञान ने अभी तक यह तथ्य उजागर नहीं किये हैं । मानव जीवन की उत्पत्ति का वर्णन किया गया है । इस ग्रह पर मानव में जीवन की समझ के लिए वेदों का प्रतिपादन हुआ। एक सप्ताह में सात दिन और एक दिन में 12 घंटे क्यों हैं, इसकी सामान्य जानकारी भी कालचक्र के अध्याय में दी गयी है । युगों से विलुप्त हो गयी सूचनाओं को फिर से संग्रहित कर खगोल विज्ञान और ज्योतिष के बीच एक अनूठी कड़ी स्थापित की गई है । प्रज्ञान का विकास कैसे किया जाए इस पर भी एक अध्याय में व्यावहारिक मार्गदर्शिका है । यह जानकारी संक्षिप्त और तार्किक तरीके से स्वतंत्र रूप से उपलब्ध नहीं है । विकसित मानव समाज में अपने इस जीवन के पाठ्यक्रम को बदलने की क्षमता है । हमसे ही परिवर्तन शुरू होता है । हमें चेतना के आयाम से जुड़ने और अपने जीवन के लक्ष्यों को पूरा करने के लिए प्रज्ञान के विकास की चुनौती को स्वीकार करना होगा।
Volumen:
1
Año:
2020
Edición:
1
Editorial:
Dr Satinder Singh Malik
Idioma:
hindi
Páginas:
210
ISBN 10:
9354079326
ISBN 13:
9789354079320
Archivo:
PDF, 9.05 MB
IPFS:
CID , CID Blake2b
hindi, 2020
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